वीर शासनमां उग्यो सूरज, 

प्रेमभुवननी धन्य धराऐ, 

हो, सूरत नगरे उत्सव, 

दिन श्रावण वदी सातम, 

सुशीलामातानं हैयु छलके, 

मोहनभाईनुं मनडु मलके,

 अंजनथी अजित, अंजनथी अजित, 

अंजनथी अजित सूरिराया…. 

सहु जन आविने पुत्र जुलावे.. 

अंजनथी अजित… सूरिराया…(१)

 

जोता दुबली काय, चिंता करती माय,

 संस्कार आपे होंशे होंशे, 

वात्सल्यनं वादल वरसे, 

अंजनथी अजित… सूरिराया… 

प्रेमसूरिनो आशीष वरसे.. 

अंजनथी अजित… सूरिराया…(२)

 

CA नी डिग्री लेवा निकळ्या, 

मळ्या सूरिभानु गुरुदेवा, 

भाई महाराजाना, पारणे बोलावे,

 अजवाली रातें, बहु समजावे, 

स्वर्ण संध्याये नियम दिधो, 

सिंह बनीने निश्चय किशो, 

 अंजनथी अजित… सूरिराया… 

समर्पित थाये गुरुना वचने, 

अंजनथी अजित… सूरिराया…(३)

 

वैशाख सुदी पांचमे, अमदावाद नगरे, 

सूरि अभयशेखरना, शिष्य थयां, 

स्वाध्यायना रंगे, छठ्ठा वर्षे,

छेद सूत्र भणाले, सूरि जयघोष राया,

मागसर सुदी छट्ठे , सूरि पद आपे,

सहुना हैये, शासन स्थापे,

अंजनथी अजित… सूरिराया…

वीरशासननुं नाद गुंजावे,

अंजनथी अजित… सूरिराया…(४)

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