वात ना करी शक्यो छुं नाथ हुं खरी, 

पण हवे नमन करूं छुं आज आंखरी,

 जावुं पडे, ताराथी दूर, हुं शुं करूं, 

छुं मजबूर…(१)

 

दिलडुं बन्युं छे भारे, ना कोई एने संभारे, 

लाख गुणाओ, जीवनमहीं छे, एक तुंही छे 

जे तारे, भुली जाजे, मारा कसूर,

 नयनो महीं भरजे तुं नूर…

 वात ना करी शक्यो…(२)

 

मारुं चित तारी पास राखुं, 

कॉल एक तारी पास मांगु, 

ज्यां जाउ त्यां, तुं साथे रहेजे, 

कर्मनुं जीतु हाम देजे, 

कांक्षा फळे, तुज योगनी, 

ते माटे तुं बनजे सबूर…. 

वात ना करी शक्यो…(३)

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