वर्षीतप पारणा का उत्सव प्यारा, 

गुंजे ऋषभ प्रभु का जय जयकारा…(१)

 

अक्षय तृतीया का है शुभ अवसर ये आया,

 वर्षतपधारी के दिल में आनंद छाया, 

ईक्षुरस से हम कराये पारणा मिलकर, 

तपस्वी हमारे जिनशासन ऊजियारे, 

पारणा के देखो अनुपम है नजारे…(२)

 

आदिश्वर दादा का मंगल आशिष पाकर, 

देव गुरु और जिनधर्म को दिल में बसाकर, 

किया तपस्वीने वर्षीतप का तप पावन, 

तपस्वी हमारे जिनशासन ऊजियारे, 

पारणा के देखो अनुपम है नजारे…(३)

 

धर्म ध्वजा लहराये हम, ढोल नगाड़े बजाए हम, 

करे अनुमोदन तप का.. 

 जयकारा लगाए हम, तपस्वी को बधाए हम, 

उत्सव है वर्षीतप का…(४)

 

तपस्वी यशधारी है जिनशासन श्रृंगारी, 

आदिश्वर दादा की कृपा बरसी है भारी, 

कर्मो को हरने लिया है तप का आलंबन, 

तपस्वी हमारे जिनशासन ऊजियारे, 

पारणा के देखो अनुपम है नजारे…(५)

 

तेरह मास आहार का, रसना के जंजाल का, 

त्याग किया तुमने पावन…

 पथ ये चूना उद्धार का, महावीर के संस्कार का, 

धन्य किया अपना जीवन…(६)

 

वर्षीतप जो धारे जाता सिद्धों के द्वारे,

तप ये ऐसा पावन जो दुर्गतियो को ढाले,

करते है भावों से तपस्वी का अभिनंदन,

तपस्वी हमारे जिनशासन ऊजियारे,

पारणा के देखो अनुपम है नजारे…(७)

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