Paryushana Parva, also known as Daslakshana Parva, is a significant Jain festival focused on self-reflection and the practice of virtues. One of the most important virtues celebrated during this time is Uttam Mardav (supreme humility), which involves letting go of pride and embracing true humility, essential for spiritual growth and inner peace.

पर्युषण पर्व जिसे दसलक्षण पर्व भी कहा जाता है, जैन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जो आत्मचिंतन और गुणों के अभ्यास पर केंद्रित है। इस दौरान मनाए जाने वाले प्रमुख गुणों में से एक है उत्तम मार्दव (सर्वोत्तम विनम्रता), जो अहंकार का त्याग कर सच्ची विनम्रता को अपनाने की प्रेरणा देता है, जो आत्मिक उन्नति और आंतरिक शांति के लिए आवश्यक है।

Table of Contents

The True Meaning of Humility | विनम्रता का सच्चा अर्थ

Where there is no humility, there can be no spirituality. True humility is not just about respecting those above you; it’s about valuing everyone, even those who may be seen as smaller or weaker. While everyone enjoys hearing their own praise, a truly righteous person is one who feels joy when others are praised.

जहां विनम्रता नहीं है, वहां धर्म का कोई स्थान नहीं होता। सच्ची विनम्रता केवल बड़ों का सम्मान करने तक सीमित नहीं होती, बल्कि छोटे और कमजोर लोगों का भी मान रखना ही सच्ची विनम्रता है। हर व्यक्ति अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होता है, लेकिन सच्चा धर्मी वह होता है जो दूसरों की प्रशंसा सुनकर भी सुखी हो।

The Dangers of Ego | अहंकार के खतर

Ego leads to self-destruction. A person full of pride constantly seeks approval and validation. When they don’t receive the recognition they expect, they feel insulted and create unrest in their mind. An ego-driven person will always feel disrespected, even when no one has wronged them, leading to inner turmoil and dissatisfaction.

अहंकार मनुष्य को नष्ट कर देता है। अहंकारी व्यक्ति सदैव मान चाहता है, और जब उसे अपेक्षित मान नहीं मिलता, तो वह अपमानित महसूस करता है। अहंकार के कारण व्यक्ति को अपमानित करने की जरूरत नहीं होती, वह स्वयं ही अपमानित महसूस करने लगता है, जिससे अन्दर अशांति उत्पन्न होती है।

What is True Humility? | सच्ची विनम्रता क्या है?

True humility, or Uttam Mardav, is a state free from pretense and pride. It is the natural state of the soul that emerges when one overcomes pride (kashaya). The more one surrenders their ego, the stronger they become. In Jainism, it is believed that “the more you bend, the stronger you become; the more rigid you are, the more likely you are to break.”

सच्ची विनम्रता या उत्तम मार्दव वह स्थिति है, जिसमें कोई दिखावा या अहंकार नहीं होता। यह आत्मा का स्वाभाविक गुण है, जो तब प्रकट होता है जब व्यक्ति मान-कषाय (अहंकार) का त्याग करता है। जितना अधिक व्यक्ति अपने अहंकार को त्यागता है, उतना ही मजबूत बनता है। जैन धर्म में कहा गया है, “जितना झुकोगे, उतना ही मजबूत बनोगे; जितना अकड़ोगे, उतना ही टूट जाओगे।”

Conclusion | निष्कर्ष

Uttam Mardav is the key to spiritual growth and inner strength. Practicing humility during Paryushana Parva helps one let go of pride and embrace true humility, leading to peace, harmony, and spiritual upliftment.

उत्तम मार्दव आत्मिक उन्नति और आंतरिक शक्ति की कुंजी है। पर्युषण पर्व के दौरान विनम्रता का अभ्यास व्यक्ति को अहंकार से मुक्त करता है और सच्ची विनम्रता को अपनाने में मदद करता है, जिससे शांति, सामंजस्य और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

दसलक्षण पर्व -उत्तम क्षमा धर्म | Uttam Kshama

Shares:
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *