तुम ज्ञान हो, 

तुम ध्यान हो, 

गुरूवर मेरे, 

भगवान हो… 

तुम मान हो,

अभिमान हो,

मेरे प्राण हो विद्युत्,

 गुरूवर शान हो….(१)

 

गुरूवर मेरे मनमीत हो, 

पुलकित हृदय की प्रीत हो,

तुम हो हृदय, 

धड़कन मेरी, 

तुम ही मेरा संगीत हो,

तुम मान हो अभिमान हो,

 मेरे प्राण हो विद्युत्, 

गुरूवर शान हो… 

तुम ज्ञान हो,

 तुम ध्यान हो, 

गुरूवर मेरे, 

भगवान हो…(२)

 

पल-पल गुरू तुम साथ हो, 

मस्तक पे तेरा हाथ हो,

 अंगुली पकड़ पाँऊ मैं, 

मंजिल मुक्तिपुरी संगाथ हो, 

तुम मान हो अभिमान हो,

 मेरे प्राण हो विद्युत्,

 गुरुवर शान हो,

 तुम ज्ञान हो,

 तुम ध्यान हो,

 गुरूवर मेरे, 

भगवान हो…(३)

 

गुण सुरभि के आकाश हो,

 पारसमणि के प्रकाश हो,

 हो रतन की ज्योति अनुपम, 

‘नील’ की तुम श्वास हो, 

तुम मान हो अभिमान हो, 

मेरे प्राण हो विद्युत्, 

गुरूवर शान हो…

तुम आश हो, 

तुम प्यास हो, 

विद्युत् गुरू,

 विश्वास हो…(४)

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