त्रिशला के आँगन बाजे बधाई, शुभ घड़िया प्रभु जन्म की आई, 

गुंजे शहनाई, गुंजे शहनाई, त्रिभुवन में खुशियां छाई…(1)

 

चैत्र सुदी तेरस दिन पावन, जन्मे श्री महावीर प्रभु, 

सिद्धारथ के राज कुंवर है, त्रिशला नंदन वीर प्रभु, 

चोवीसवे तीर्थंकर बनकर, प्रगटे है महावीर प्रभु, 

ऋतु ये सुहानी उमंगे है लाई, देव-देवीया लुटाये बधाई, 

गुंजे शहनाई, गुंजे शहनाई, त्रिभुवन में खुशियां छाई…(2)

 

इंद्र-इंद्राणी मिल मंगल गाये, जिनवरजी को बधाएजी, 

मेरू पर्वत पे जिनवर का, भव्य स्नात्र कराएजी, 

त्रिभुवन नायक मुक्ति प्रदायक, को पलना झुलाएजी, 

नजर लगे न कोई ले लो रे बलाई, वीर प्रभु दर्शन सुखदाई, 

गुंजे शहनाई, गुंजे शहनाई, त्रिभुवन में खुशियां छाई…(3)

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