तारा नामे सूरज लावे, रोज़ नवी सवार तारी पूजा तारी स्तवना,

पल पल तुज उच्चार तारो महिमा अपरंपार…

तारी भक्ति करता करता,

हु थावु भव पार तारो जाप करु छु दादा,

तु जग नो आधार तारू कीर्तन करता करता (२),

सफल करु अवतार तारो महिमा अपरंपार…

तु जो पकड़े हाथ तो मारो,

थयी जाशे उद्धार तु सोनेरी कमळे चाले,

धर्मचक्र सहचार हवे नाश करी दे मारा (२),

मन ना विषय विकार तारो महिमा अपरंपार…

तु छे मुज शणगार प्रभुजी,

तु छे मुज सुविचार तु छे करुणा सागर स्वामी,

कृपावंत समुदार तु छे मारो भाग्य विधाता (२),

तु छे सुख दातार तारो महिमा अपरंपार

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