तारा मिलननी लगन,

मने पागल बनावे छे,

प्रभुजी तमारो प्रेम,

मने कागळ लखावे छे…

प्रभुजी तमारो प्रेम,

मने घायल बनावे छे…(१)

 

लखुं छुं प्रेम कागळिया,

ओ मारा व्हालम वीतरागी!

दूरे जई केम बेठो तुं,

हुं तारो बाळ अनुरागी,

 तारा स्मितनी झलक,

जळने झाकळ बनावे छे,

 प्रभुजी तमारो प्रेम,

मने कागळ लखावे छे….(२)

 

नथी गमतुं तारा विना,

मने आवे तारी याद,

मिलननी झंखनाथी मन,

मारूं तडपे छे दिन-रात,

  तारा विरहनी व्यथा,

नयनने वादळ बनावे छे,

 प्रभुजी तमारो प्रेम,

मने कागळ लखावे छे… (३)

 

आंखोमां आंसूनो दरियो,

ने मनमां वेदना छे नाथ!

तोडी संबंधो संसारी,

चाहुं एकज तारो साथ,

तारा प्रीतनी तलप,

मने राजुल बनावे छे,

प्रभुजी तमारो प्रेम,

मने कागळ लखावे छे… (४)

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