तप का सुंदर उत्सव आया, आदिनाथ का आशिष पाया, 

मंगल ये घडी, आनंद अंग में छाया, 

है रंग सजा वर्षीतप का, आनंद उमंग अपार भरे,

सभी ऋषभ रूप में आए तपस्वी, 

उनकी जय जयकार करे…(१)

 

प्रभु घूमते आए हैं, कोई अन्न कहीं ना पाए, 

द्वार पे आए राजा के, श्रेयांस जो कहलाए,

 इक्षु रस का दान दिया है, प्रभु का जो बहुमान किया है, 

आखा त्रीज की महिमा को, हम सब मिल गाते है, 

है रंग सजा वर्षीतप का, आनंद उमंग अपार भरे, 

सभी ऋषभ रूप में आए तपस्वी,

 उनकी जय जयकार करे…(२)

 

वर्षीतप है मंगलकारी, तप ये शिवसुखदाई,

 देव गुरू और धर्म कृपा की अनुपम बलिहारी, 

हे! प्रभु तेरे पथ पर आए, त्याग से भवसागर तीर जाए,

युग-युग की ये तपगाथा, सभी देवभी गाते है, 

है रंग सजा वर्षीतप का, आनंद उमंग अपार भरे, 

सभी ऋषभ रूप में आए तपस्वी, 

उनकी जय जयकार करे…(३)

 

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