सिद्धिपथ पर जवानो,

विरतीरथ छे सहारो,

 सिद्धिपथना पथिकने,

विरतीरथनो सहारो,

विरतीरथ पर हंमेशा,

सद्गुरुनो सहारो,

 विरतीरथ पर मळे छे,

सिद्धिपथनो किनारो,

 विरती महीं रति छे… (१)

 

नाना-नाना पगलां अहिंया,

संयम जीवन जेवा,

 प्रभु आज्ञाना पालन साथे,

गुरु चरणोनी सेवा,

काऊसग्गने क्रियाओ,

सत्त्वशाली बनावे,

 गुरुदेवनी वाचना,

आत्म ध्याने डुबावे,

 नवकार मंत्रनी साधनाथी,

सफळ आ जन्मारो,

 दिन-रात जपता वधे,

मैत्रीभाव अमारो,

विरती महीं रति छे… (२)

 

तप अने स्वाध्यायथी तन-मन,

निर्मळ-निर्मळ थाशे,

 आतम महीं आनंदनो दरियो,

उछळी-उछळी गाशे,

 संसारनुं आ सुखतो,

आकाशी आभासी,

 निज आतमनुं सुखतो,

अनहद ने अविनाशी,

 यशोविजय गुरुनी निश्राए,

अवसर आ मजानो,

 आतममां परमातम ध्याने,

प्रगटे गुणनो खजानो,

विरती महीं रति छे… (३)

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