श्री शत्रुंजय आदि जिन आव्या, पूर्व नव्वाणु वारजी,

 अनंत लाभ इहां जिनवर जाणी, समोसर्या निरधारजी;

 विमल गिरिवर महिमा मोटो, सिद्धाचल इण ठामजी,

कांकरे कांकरे अनंता सिध्यां, एकसो ने आठ गिरिनामजी

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