सेमलिया पर प्रभु शांतिना, अभिषेकनो पावन समय, 

प्रभु शांतिनाथ जिनालये, वातावरण शुभ भावमय,

 ते परम पावन दृश्य मारा, नैत्रने निर्मल करो, 

शांतिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनुं मंगल करो…(१)

 

श्यामल प्रभुना मस्तके, नीरखु हुं क्षीरधारा धवल, 

रोमांच अनुपम अनुभवु, गदगद हदय लोचन सजल,

 प्रत्येक आत्मप्रदेशे शांति, प्रीतने निश्चल करो, 

शांतिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनुं मंगल करो…(२)

 

अभिषेकना सुप्रभावधी, विध्नो तणो थाओ विलय, 

सर्वत्र आ संसारमां, शासन तणो थाओ विजय,

 सुख शांति पामे जीव सहु, करुणा सुवासित दिलकरो, 

शांतिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनुं मंगल करो…(३)

 

अभिषेक सुप्रभावथी, भवतापनुं थाओ शमन,

 उर केरी उरखर भूमि पर, सम्यक्त्वनुं थाओ वपन,

 मिथ्यात्व मोह कुवासना, कुमतितणो सवि मल हरो,

शांतिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनुं मंगल करो…(४)

 

अभिषेक सुप्रभावथी, सेमलियाजीनो जय विश्वमां, 

महिमा सेमलियाजी की, व्यापी रहो आ विश्वमां, 

आ तीर्थना आलंबने, भवि जीव शिव मंजिल वरो, 

शांतिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनुं मंगल करो…(५)

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