सामुं जुओने-१…

 सामुं जुओने मारी सामुं जुओने एक वार नेम मारी सामुं जुओने…

करुणा दृष्टिथी मारी सामुं जुओने,

अमीदृष्टि मारी सामुं जुओने… सामुं जुओने… ॥१॥

 निगोदना दिवसो मने याद ज आवता, तुं अने हुं रह्या एक ज धाममां,

 अनादिकाळथी दुःखोने खमतां, आ चोराशी लाख योनिमां भमतां,

भवोभव सुधी साथे रह्या, आजे मने केम छोडी गया,

तारा विना दादा मने कोण पूछे ना,

 मारी अखियोना आंसु कोण लूछे ना… सामु० ॥२॥

 संसार असार छे, मोक्ष ज सार छे, तारी वातो में तो सुणी नलवार छे,

 मोहमायाना जूले हुं झूलीयो, राचीमाचीने कर्मों में बांध्यां,

 हसतां हसतां कर्मों में बांध्या, आत्मानां कर्मीना ढगला भर्या,

 रोतां रोतां आजे मारां कर्मों छूटे ना,

दुःखोना डुंगर मारा आने तुटे ना. सामु० ॥३॥

छेल्ली विनंती मारी दादा तुं सुणजे, अंत समये आवी तुं मळजे

 पीडा ज्यारे रग रगमांथी व्यापे, तारा दर्शननी ठंडक तु आपजे,

 जंजाळ जगनी छोडी गई, मने तारा ज ध्यानमा स्थिर करी,

 समाधि मरण मळे एवु हुं मांगुं,

 भवोभवना फेरा टळे एवु हुं मांगुं. सामुं० ॥४

 

 

 

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