संयमी बनुं, संयम पथ पे चलुं…

 

मैं संयम पाऊँगा.. मैं संयम पाऊँगा…

 महाव्रत का पालन करके दिखलाऊँगा,

 फिर देव गुरु और धर्म में रम जाऊँगा,

मैं भी अब संयम पाऊंगा….(1)

 

परमात्मा बनेगी मेरी आत्मा,

 परमात्मा बन जाए मेरी आत्मा….(2)

 

इन लम्हों का मुझे, कब से इंतजार था,

 इन खुशियों के लिए, दिल ये बेकरार था,

रजोहरण मिलेगा, पूरा एतवार था,

 गुरुवर के शरण में, मिला ऐसा प्यार,

मैं मंजिल पाऊँगा.. मैं मंजिल पाऊँगा….

मैं महावीर का शासन ध्वज लहराऊँगा,

 मैं भी अब संयम पाऊँगा…(3)

 

परमात्मा बनेगी मेरी आत्मा,

 परमात्मा बन जाए मेरी आत्मा…(4)

 

बचपन से दिल ने, देखा एक ख्वाब था,

 विरतिधर करके, वेश से ही प्यार था,

 पापा मम्मी का, ऐसा संस्कार था,

धर्म ही सार बाकी, लगता असार,

 मोक्ष को पाऊंगा.. मोक्ष को पाऊंगा…

मैं जिनशासन की आन बान को

बढ़ाऊँगा, जिनपियूष गुरुवर का,

मैं शिष्य कहलाऊँगा,

 मैं भी अब संयम पाऊँगा…(5)

 

परमात्मा बनेगी मेरी आत्मा,

 परमात्मा बन जाए मेरी आत्मा….(6)

 

संयमी बनुं, संयम पथ पे चलुं….(7)

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