संयम मारग छे शूरानो 

कायर नुं नहीं काम, 

विरती मारग छे वीरानो 

सुविधा नुं नहीं नाम, 

आ मारग पर डग मांडे

 तुं जगना हित ने माटे, 

वीरता दाखवी कविना 

जाये वीरनी विरती माटे..(१)

 

नमन मन थी तुजने,

 नमन मन थी तुजने..(२)

 

सुविधाओ तो लाख हती 

पण राख छे मानी एणे, 

मुक्ति तरफ प्रगति करवाने 

पांख छे वाळी एणे, 

परममां झूली ने ए तो

 स्वयं ने भुली ने, 

गुरु समर्पण करशे

 जीवन अहम ने भूली ने..(३)

 

नमन मन थी तुजने, 

नमन मन थी तुजने.. (४)

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