रंगे चंगे चाली तुं, रंग श्वेत धारी, 

सत्संगे, उछरंगे बंधावा गाठो, 

तारूं अंगे अंग आखूं, वैराग्यथी रंगायुं, 

महेंदी छे तारा हाथे, वीरजीनी…(१)

 

शणगारी छे डोली ने बारणांओ खोली,

 तुं निकळी पडी घर छोडी आखु, 

वळी सुखनी रंगोळी ने पग नीचे रोळी, 

बस एक ध्येय छे के विरति पाळुं, 

रंगे चंगे चाली तुं,

रंग श्वेत धारी, ओ हो…(२)

 

सळगावी ते होळी दोषो ने विषयोनी,

 पच्चक्खाण ते महाव्रतनुं धार्युं, 

लई हाथोमां झोळी अंतरथी तुं बोली,

 संवेगी जीवनभर रहेवानुं

 रंगे चंगे चाली तुं, रंग श्वेत धारी, 

सत्संगे, उछरंगे बंधावा गाठो, 

तारुं अंगे अंग आखुं,

वैराग्यथी रंगायुं, ओ हो…(३)

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