रंग बिरंगे फूल खिले है

मन के बगीचे में,

 ठंडी हवाएं फिर से चली

है सुने दरीचे में,

 संघ है आया हमें ले जाने

धर्म की राहों पे,

 चलते जाएंगे हम सारे प्रभु की छाँव में, 

केसरिया बालमा साँस जरा ठामना, 

संघ निमंत्रण की मंगल है कामना…(१)

 

रस्ते के सारे कंकर

अब तो फूलों में बदलेंगे,

 अर्हम् आदि छरिपालित संघ

में जब हम चलेंगे, 

चंद्रलोक से चंद्रमाँ खुद चलकर आएंगे,

 तारे सारे आदेश्वर की राग लगाएंगे, 

केसरिया बालमा साँस जरा ठामना, 

संघ निमंत्रण की मंगल है कामना…(२)

 

अयोध्यापुरम से पालीताणा

हमको है जाना 

राजेंद्रसूरिजी ऋषभसूरिजी का

आशिष है पाना, 

आया है मौका हमको है

प्रभु रंग में रंग जाना,

 चलते-चलते प्रभु की है

हमें राह अपनाना, 

केसरिया बालमा साँस जरा ठामना, 

संघ निमंत्रण की मंगल है कामना…(३)

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