रैवतगिरी, उज्जयंतगिरी, कैलाशगिरी, प्रभु
नेम है, करुणा है बसी, जिनके आँखों
में, जीवदया प्रेमी, प्रभु नेम है,हे
बालब्रह्मचारी दादा, राजुलना तारणहार हो,
तुम नेमिनाथ मेरे प्राण हो…(१)
श्याम सलोना प्यारा नेमजी, निर्विकारी मुद्रा
आपकी, अद्भुत रूप मन को भाये, अकळ
अरूपी और अविनाशी, जग में तुं ही प्रभु
निरागी, भव भावट भय भागे, अंखिया
बरसे अमीरस धारा, तुं नेमि निरंजन
सुखकारा,गिरनार मंडळ तुं कहावे,
सूरज भी नमे, चंदा भी नेम,
रोमे-रोमे गिरनार बसे, नेमिनाथ
प्रभु भगवान मेरे….(२)
सहसावन की पावन भूमि, संयम केवल-
मोक्ष की भूमि, अभिषेक बादल जहां करते,
ऊँचे-रे पर्वत प्यारे, तेरे चरणे वो
झुक जाते,अपलक निहारे कर जोड़ के,
दुःख दूर हुआ सबका सारा, है साथ
तेरा सबको प्यारा, तुम ही हो जीवन
के सहारे, जहाँ साधक साधना करने को,
दौडे-दौडे दर पे आये,
गिरनार सभी को मन भाये…(३)