रहेवुं तारा चरणोमां बस, अंतरने एकज

एमां रस,दूरे थवुं गुरुजी हवे,

फावे जरी ना,तमारी लागी तरस,

गुरुवर लागी तरस..अमोने लागी तरस,

तमारी लागी तरस…(१)

 

हृदयनी आरपार स्पर्शे छे, लागणी तारी,

 भीतरनो थनगनाट टहुकी रह्यो, तुजपर

ओवारी,मने हा नो ईशारो दे,

वळी ए एकधारो दे, हैयुं तमोने

थइ गयु वश, तमारी लागी तरस… (२)

 

तमे तो ज्यारथी झाळी छे, आ आंगळी

मारी,संसार आखानी त्यारथी,

छूटी गई यारी, प्रीतनां प्रगटावे छे पुर,

तमारा उरना मधुरा सूर,तमे भर्यो छे

मुजने ठसोठस, तमारी लागी तरस…(३)

 

अमे तो ज्यारथी पीधा छे, आशिषो तारा,

जीवनमां दुःख नहीं, हर एक क्षण बस,

सुखना वारा, आप तो वर्ष्या अनराधार,

 अमारा थई बेठा आधार, जल्दी

तमारो, बनूं वारस… (४)

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