प्रभु महावीर जेवा, मळ्या मने तो आ भवमां,

 तारणहार छो एवा, तमे वस्या मारा मनमां,

तारा गुणों गाउं, तने निरख्या करूं, मारा आतमने तारो प्रभु, 

तुं छे सहरो, तुं छे किनारो, तुं छे मारो सथवारो.. 

अंधारमांथी मने तारो प्रभु, तुं छे मारो अजवाळो…(१)

 

अंधारामां अटवातो हुं, भवोभवथी भटकतो प्रभु, 

तारूं शासन मळ्युं छे मने, विरती माठे झंखु विभु,

 तारणहारा छे तुं, तार मुजने ओ वीरला,

 संसारना जाळथी, काढ मुजने ओ व्हाला, 

तारा दर्शन करूं, तारी पूजा करूं, मारा हैये वस्यो छे तुं, 

तुं छे सहरो, तुं छे किनारो…(२)

 

तारा पंथे जावुं छे प्रभु, पण मोहजाळमां अटक्यो छुं, 

एकज ईच्छा छे म्हारी, आवीने लई जा ने तुं,

 आतम संसारी म्हारो, अटक्यो पापोमां, 

हाथ आपोने तमे, साथ आपो ओ व्हाला, 

मने शक्ति आपो, भवभ्रमणा कापो, मोक्ष मार्गे मने स्थापो, 

तुं छे सहरो, तुं छे किनारो…(३)

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