प्रभु लागी तुमसे लगन है, इस लगन में एक अगन है,

 इस अगन में जो आनंद है, वो संयम है… 

संसार दुःखो में भ्रमण है, वियोग है कभी मिलन है, 

तुमसे संगम जो कराए, वो संयम है… 

प्रभु से प्रार्थना, गुरू से याचना,

 रजोहरण रजोहरण, गाए सांसो की सरगम..

 रजोहरण रजोहरण, यही आतम की गुंजन…(१)

 

पुण्य से मानव जीवन पाया, जिनवर का धर्म सबसे उत्तम, 

चार गतियाँ है भुलभुलैया, दल-दल जैसा उसमें ये यौवन,

विषयों का विष बड़ा घातक, ये राग रोग है दुःखकारक,

कर्मसत्ता को हराने अब, संग्राम होगा निर्णायक, 

वीरों का राजपथ, संयम महान पथ, 

रजोहरण रजोहरण, गाए सांसो की सरगम..

 रजोहरण रजोहरण, यहीं आतम की गुंजन…(२)

 

दीन हीन आत्मा ये मेरी, प्रभु भक्ति में लीन होगी, 

आतम से परमातम की दूरी, शुभ भावो से कम होगी,

आतमशुद्धि से सिद्धी तक, बालक से पंडित बुद्धि तक, 

मेरी यात्रा है अवगुणों से, शुद्धगुणों की वृद्धि तक, 

मोक्ष की दिव्यता, “प्रदीप” चाहता,

 रजोहरण रजोहरण, गाए सांसो की सरगम..

रजोहरण रजोहरण, यहीं आतम की गुंजन…(३)

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