परमनुं स्पर्शन, छे स्वनुं दर्पण,

 गुरुवरना चरणे, सर्वस्व समर्पण… (१)

 

साचा सुखने पामवा मांगु,

रजोहरणनो साज,

समर्पण यात्राना सुकानी,

मारा गुरुराज,

मारा गुरुराज, यशोविजय गुरुराज… (२)

 

परमां सुखनुं कारण,

अस्तित्व जोयुं परमां,

 साचा सुखनुं कारण,

सदा अस्तित्व छे स्वमां,

 व्यक्तित्वना अस्तित्वथी,

भटक्यो चौद राज,

 समर्पण यात्राना सुकानी,

मारा गुरुराज…..

मारा गुरुराज, यशोविजय गुरुराज… (३)

 

सुकृत सुरतरूं फळ्यो,

दुरित वेगे टळ्यो,

 जहाज भवजल तरवा,

यशोविजय गुरु मळ्यो,

पंचम पदथी पंचम गतिने,

पामवा मांगु आज,

समर्पण यात्रा ना सुकानी,

मारा गुरुराज…

मारा गुरुराज, यशोविजय गुरुराज… (४)

 

ज्यां सुधी ना मळो,

तमे परमात्मा,

 त्यां सुधी सद्गुरुवर,

भवोभव मळो… (५)

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