परमकृपालु परमातमना, चरण कमलनुं

पूजन, गुरू दर्शन मन भावन…(१)

 

मोह-तिमिरे मुज अज्ञाने, आ संसारे हुं

रझळ्यो,पुण्य प्रतापे, धर्म प्रभावे, सद्गुरू

योग छे मळियो,भवजल तारक,

पतितउद्धारक,एवा गुरूनुं पूजन,

गुरू दर्शन मन भावन…(२)

 

रात-दिवसनां बेव दरवाजे, साथे अमारी

रहेजो,सूता-उठतां आप चरणनुं, सरनामु

मने देजो,प्रसन्न हैये, अति आनंदे,

गुरू चरणे धरूं जीवन,गुरू दर्शन

मन भावन…(३)

 

भीनी-भीनी पांपण रहेशे, यादों तमारी उगशे,

मारा हृदयनुं आंगणु उज्जड, आपनुं पगरव

इच्छे,आप विरहमां हरपल-हरस्थल, देशे

शुभ आलंबन…गुरू दर्शन मन भावन…(४)

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