मुनिसुव्रत मन वसियो रे… कुशल गुरु मन वसियो रे…(१)

 

प्रतिष्ठा का अवसर आया, जन-जन में खुशियां लाया, 

नगरी में खुशियां छाई, बांटे घर-घर मिठाई, 

शुभ दिन आज है आया….

 प्रभुजी मंदिर विराजेंगे, मुनिसुव्रतजी पधारेंगे,

 कुशलसूरिजी पधारेंगे, प्रभुजी दिल में विराजेंगे…(२)

 

उत्सव का आनंद ऐसा छाया, भूल गए है सब दिन रात, 

छोटे बड़े का भेद नहीं है, झूमे नाचे सब एकसाथ, 

मेरे प्रभु का मंगल अवसर, भक्ति करें हमसब जन मिलकर,

शुभ दिन आज है आया… प्रभुजी मंदिर…(३)

 

लहर प्रतिष्ठा की ऐसी छाई, झूम रहा है चेन्नई पूरा,

मुनिसुव्रत-जिनकुशल पधारे, सपना हुआ है सब का पूरा,

जिनमणिप्रभसूरि निश्रा पाई, नेमि देता सबको बधाई, 

शुभ दिन आया है आज… प्रभुजी मंदिर…(४)

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