मोंघेरा दाम छे, मीठडू ए नाम छे,

 पोष सुद तेरसने, सौ सौ सलाम छे…(१)

 

रतनबाने सबुडा माटे,

ममता अपार छे, 

सबुडो तो समरथमाँनो,

हैयानो हार छे, 

नानुं मझानुं ऐनु

पादरा गाम छे…

पोष सुद…(२)

 

सिंह जेवो उज्ज्वल ए तो,

सत्वशाली वीर छे,

 संयमने लेवा आजे,

बहु ए अधीर छे, 

निकळ्यो ए दुनिया छोडी,

मोटा एना काम छे… पोष सुद…(३)

 

गंधार तीर्थे वहेती,

दरियाई लहेरो छे, 

चिंतामणी प्रभुनो उज्जळो,

गुलाबी चहेरो छे, 

मंगलविजयजी एनी,

आशानुं धाम छे… पोष सुद…(४)

 

वरसोना सपना ऐना,

आजे फळ्या छे, 

 दरियाई पवनो वच्चे,

दिवा जळहळ्या छे. 

 तोफानोमां रहेशे अडीखम,

राम ऐनु नाम छे… पोष सुद….(५)

 

पोष सुद तेरसमां,

घणुय छुपायु छे, 

त्रिभुवनने खोई एने,

राम नाम पायु छे, 

राम त्यां अयोध्या बनती,

एवुं ऐनु काम छे… पोष सुद…..(६)

 

दीक्षाना युगनो एने,

प्रारंभ कर्यो छे,

 “दीक्षा युग प्रवर्तक” अद्भुत,

नामना वर्यो छे,

 ‘परमर्षि’ कहे छे मुनिवर,

रामने प्रणाम छे… पोष सुद…(७)

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