मने मळ्यो गुरुनो वास,

मैं तो पाम्यो तप उपधान…

 मारे थई दिवाळी आज,

मारो पूरो थयो उपधान…(१)

 

उत्कृष्ठ भावे, क्रिया रोजे करता,

 डगले ने पगले, कर्म छे खरता,

 नवकारनो मळ्यो अधिकार,

मारो पूरो थयो उपधान…

गुरुवरना छे उपकार,

मारो पूरो थयो उपधान…. (२)

 

ज्ञान क्रियानी, नावडी पामी,

गुरु वचनोमां, राखी ना खामी,

 भव दरियो करवा पार,

मारो पूरो थयो उपधान…

मैं पहेरी मोक्षनी माळ,

मारो पूरो थयो उपधान… (३)

 

शीतल मलयना, प्रेमाळ सींचन,

मणि गुरुवरना, वात्सल्य अंजन,

 गुरु कृपानो कर शणगार,

मारे बनवुं छे अणगार,

 भावे मनन चित्तमां भाव,

मारे बनवुं छे अणगार… (४)

 

नवकारनो मळ्यो अधिकार,

मारो पूरो थयो उपधान..

 गुरुवरना छे उपकार,

मारो पूरो थयो उपधान..

 भव दरियो करवा पार,

मारो पूरो थयो उपधान…

 मैं पहेरी मोक्षनी माळ,

मारो पूरो थयो उपधान..

 मने मळ्यो गुरुनो वास,

मैं तो पाम्यो तप उपधान..

मारे थई दिवाळी आज,

मारो पूरो थयो उपधान… (५)

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