क्या सोवे उठ जाग बाउ रे,

अंजलि जल ज्युं आयु घटत है

देत पहोरिया घरिय घाउ रे…

क्या सोवे उठ जाग बाउ रे (१) 

इंद चंद नागिंद मुनि चले,

कोण राजापति साह राउ रे,

भमत भमत भवजलधि पाय के

भगवंत भजन बिन भाव नाउ रे (२) 

क्या सोवे उठ जाग बाउ रे…

कहा विलंब करे अब बाउ रे,

तरी भवजलनिधि पार पाउ रे,

आनंदघन चेतनमय मूरति,

शुद्ध निरंजन देव ध्याउ रे 

क्या सोवे उठ जाग बाउ रे…(३) 

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