जिनशासन का पर्व है आया,
पर्युषण जो कहलाया,
पर्वो का ये राजा है,
जो हर घर खुशियाँ है लाया..(१)

 

पुण्य कमाने का यह अवसर,
फिर से लौट के है आया,
प्रभु भक्ति की महकने जग को,
चंदन से है महकाया…(२)

 

हम मनाये पर्वाधिराज,
छोडे सारे काम काज,
अठ्ठम-अठ्ठाई करके हम,
पहनेंगे तप का ताज,
आभूषण है शूरवीरों का,
संयम सत्व को है प्रणाम,
अनुमोदना करते है,
ये तो है जिनशासन की शान…(३)

 

सूत्रों का सूत्र है कल्पसूत्र,
जो जैन धर्म सिखाता है,
वीर की जीवन गाथा से,
हमको यह राह दिखाता है,
प्रभुजी का है जन्म आया,
मंदिर हम सजाएंगे,
पालनाजी को झुलाके हम,
प्रभुजी को रिझाएंगे….(४)

 

सबसे बड़ा है वो एक दिन,
जो संवत्सरी कहलाया है,
क्षमा मांगना है सबसे,
जिनका दिल हमने दुखाया है,
क्षमा याचना जैन धर्म का सार है ये,
इसको तुम समज लेना,
धुकर सारे मन के मैल,
मिच्छा मि दुक्कडं कह देना….(५)

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