जेना पावन पगलाथी, धरती धबकार करे, 

ने वीर प्रभुनो वेश धरी, संयम शणगार करे, 

देवो पण साधु जीवननो.. 

जयजयकार करे, जयजयकार करे…(१)

 

कोई भक्त बनीने आवे, अरे आवे आवे आवे,

 पण मनमांहे मुनिवर, हरखावे ना हरखावे,

 कोई उपसर्गो बरसावे.. एनं हैयुं तो, रमतुं समताभावे, 

सन्मान अने अपमान भूली, सरखो उपकार करे, 

देवो पण साधु जीवननो..

 जयजयकार करे, जयजयकार करे…(२)

 

दीक्षा लईने अणगारा, अणगारा रे अणगारा, 

भीक्षा माठे घर-घरमां, फरनारा ए फरनारा, 

मळशे तो संयम वृद्धि.. ना मळशे तो, माने तपनी वृद्धि, 

ए राग विना ने द्वेष विना, सहुनो स्वीकार करे, 

देवो पण साधु जीवननो..  

जयजयकार करे, जयजयकार करे…(३)

 

कोई निंदे ने कोई वंदे, हां वंदे रे भई वंदे, 

भीतरथी रहे आनंदे, आनंदे रे आनंदे, 

मुनिवर जंगम तीरथ छे.. मारे रहेवुं छे, मुनिवर ना संबंधे,

मुनिराज तणा आ जीवनथी, “उदय” भवपार करे, 

देवो पण साधु जीवननो..

जयजयकार करे, जयजयकार करे…(४)

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