(तर्ज :- बहारों फूल बरसाओ)

जीवन यूं ना गंवाओ,

 पर्युषण पर्व आया है -(२)। 

धर्म की लहर में आओ,

 पर्युषण पर्व आया है- (२) ॥ टेक ॥

 

प्रभु वाणी की गंगा, 

सुन सबका मन हर्षायें। 

ज्ञान जप से, त्याग तप से,

 जीवन सुमन खिल जाये। 

धर्म की लहर में आओ, 

पर्युषण पर्व आया है- (२) ॥१॥

 

समय सुहाना आया है बंदे, 

ज्ञान संदेशा लाया है। 

मिला है देखो अनमोल हीरा,

 छूट जाये ना हाथों से।

 धर्म का रंग चढ़ाओ, 

पर्युषण पर्व आया है। 

धर्म की लहर में आओ,

 पर्युषण पर्व आया है॥२॥

 

आठ दिनों का पर्व पर्युषण,

 जन-जन को है मिलाता।

मिच्छामी दुक्कड़म, 

कहकर प्राणी, 

पिछले बैर भुलाता।

क्षमा का रस बरसाओ,

 पर्युषण पर्व आया है।

धर्म की लहर में आओ, 

पर्युषण पर्व आया है॥३॥

Shares:
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *