जय जय आरति माणिभद्र ईन्द्रा, बावन वीर शीर मुगट जडींद्रा…

तपगच्छ अधिष्ठायक विख्याता अतिय विघन दुःख हरो विधाता…

तुम सेवकनां संकट चुरो, मन वंछित सुख संपदा पूरो…

खडग त्रिशूल डमरु गाजे, मृगदल अंकुश नाग विराजे…

षट् भूजा गज वाहन सुंदर, लोढी पोशाल संघ वृद्धि पुरंदर…

विनये श्री आणंद सुरिधीर, आशा पूरा मगरवाडिया वीर,

आशा पूरा उज्जनीया वीर, आशा पूरा वीर…

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