जय गुरुदेव गुरूदेव गुरुदेव…

 

हर घर में आई खुशियों की बारात, 

बोलो जय जय गुरुराज…

मेरे अभय नाम से दिन की शुरूआत,

 बोलो जय जय गुरूराज…(१)

 

गुर रामकी कृपा है जहाँ, 

वैराग्यमय जीवन है वहाँ, 

बजी शहनाई जिन धर्मकी, 

तन-मन में आनंद छा गया, 

दिनबंधु का दरबार है, 

करूणा के वहीं अवतार है, 

प्रसन्न मूरत को देखके, 

सारे दुःखो की हार है, 

सुनते है, दिल से भक्तों 

की हर बात… बोलो… मेरे…(२)

 

अभय अमृत वर्षकी लहेरे, 

छाई ज़मी और अंबर तक है,

 कहते सूरज चांद सितारे,

 रोशन हुआ जग ना कोई शक है, 

राधनपुर के नंद दुल्हारे, 

आज सभी के गच्छनायक है, 

वीरशासन के वंश हमारे, 

प्रवर समिति कार्यवाहक है, 

मैं चाहूं, हर जन्म में युही 

मुलाकात… बोलो… मेरे… (३)

 

मैं पर्वत शिखर आप रहे,

 मैं नदी समंदर आप रहे, 

ज्ञान-ध्यानमें आप रहे,

 अभिमान ही मेरा आप रहे,

 आप रहे हर कदम पे साथी, 

भव्य सफर में आप रहे, 

मोक्ष पे जाए एसा मिलन, 

संयन के साथी आप रहे, 

लाखो भक्तों के जीवन में, 

प्रिय सदा ही आप रहे,

 हर घर में आई…(४)

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