जय बोलो हीरसूरीश्वर की, 

महायोगी प्रतापी दिनकर की,

 जय बोलो…(१)

 

जिनशासन का उद्योत किया,

 अकबर को प्रतिबोध दिया, 

विजय दानसूरि के पट्टधर की, 

जय बोलो…(२)

 

गुरु आज्ञा को बहुमान दिया, 

छह माह अमारि फरमान दिया, 

मूक जीवों के रहबर की,

 जय बोलो…(३)

 

करजोरी जो गुरु गुण गावे, 

जस कीर्ति उच्च गति पावे,

 तपगच्छ नायक ज्योतिर्धर की, 

जय बोलो…(४)

 

गुरु देओ यहीं ‘आशीष’ हमें, 

जिनाज्ञा सदा आतम में रमे, 

अर्जी अवधारो अनुचर की, 

जय बोलो…(५)

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