गुरुवर तमोने विनंती करूं छुं, 

प्रभाते ऊठीने सदा हुं स्मरूं छुं, 

गुरुवर तमे छो सदा सुखकारी,

 नमुं छुं नमुं छुं अहो कोटिवारी….(१)

 

गुरुवर तमे धर्मना ज्ञानदाता, 

भवि जीवने आपता सुखशाता, 

गुरुवर घणां गुणनी श्रेणी सारी, 

नमुं छुं नमुं छुं अहो कोटिवारी…(२)

 

भूलो हुं भम्यो छुं भवारण्य मांही, 

नथी आशरो झालशे मुज बांहि, 

उपाधि अकारी न सारी छे खारी,

 नमुं हुं नमुं हुं अहो कोटिवारी…(३)

 

गुरु! उपकारी हरो दुःख मारा,

दुःखी बाल उद्धरशो करी पारा, 

बनावो मने शुद्ध चारित्रधारी, 

नमुं छुं नमुं छुं अहो कोटिवारी…(४)

 

गुरुवर तमे छो सदा सुखकारी,

नमुं छुं नमुं छुं गुरु रामचंद्रम्…(५)

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