गिरनारे द्वारे आव्यो, पहली वार रे,
नेमिने जोई हैयुं, हरखाय रे,
हुं नेमि तारो थई गयो,
दिल कहे छे, हुं नेमि तारो थई गयो…(१)
हुं तारो मने तारो नेमिनाथ रे,
पकड़ो मारो हाथ आपो साथ रे,
तारा विना जीवन छे अनाथ,
दिल कहे छे, हुं नेमि तारो थई गयो…(२)
मारूं दिल तारा संगे-संगे चालवा,
हैयुं याचे तारी आज्ञामां नाचवा,
नेम राजुलमां राचवा,
ने तारा चरणोमां ढलवा,
द्वारिकाना द्वार एम बोले,
गिरनारना शिखरो एम बोले,
नेमि तुं प्रीतम छे मारो,
दिल कहे छे, हुं नेमि तारो थई गयो…(३)
ओ जहां-जहां तारा पगला थया,
त्यां-त्यां आनंद छे,
हुं तारी राजिमती, तुं प्रीतम नेम छे,
नेम भने संयमना भाव आपोरे,
भवोभवनां बंधन कापो रे…(४)
हे नेमी तारो मारो जन्मोनो नातो,
मारे करवी तारी साथे वातो,
मारा कर्मो नाशे सघळे,
वैराग्य तमने जोता प्रगटे,
जादु छे जादु तारा हाथोमां,
हर अमावसनी रातोमां,
अंबिका नी साथमां, दिल कहे छे,
हुं नेमि तारो थई गयो…(५)