धारेलु सहु काम सिध्ध करवा, छो देव साचा तमे

ने विदनो सघळा विनाश करवा छो शक्तिशाळी तमे

सेवे जे चरणो खरा हृदयथी तेने उपाधी नथी

एवा श्री माणिभद्र देव तमने वंदु घणा भावथी

देवा सुख समस्त जनने जे छे सदा जागता

सेवाना करनारना पलकमां कष्टो बधा कापता,

सिध्धि सर्व मळे अने भय टळे, आपे सदा सन्मति

एवा श्री माणिभद्रदेव तमने नमता आनंद थाय अति.

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