ढोल बगड़ावो, गगन गुंजावो, आजे आव्युं वीरवचनविमानम्…

गुलाल उड़ावो, धूम मचावो, आजे आव्युं वीरविभुवरदानम्….

अक्षते वधावो, फूल वरसावो, नाचो गाओ प्रभुपदवीप्रदानम्…

पदवीप्रदानम्… पदवीप्रदानम्… 

गुरुगुणगानम्… पदवीप्रदानम्…(१)

 

पात्र पुरुषने पदवीनी प्राप्ति ज्यारे थाय छे, 

पदवीने पण परमानंदनुं पूर त्यारे ऊभराय छे, 

महावीर-मानम्… परगोपमानम्… 

दूरीकृतमानम्… मम स्वाभिमानम्… 

पदवीप्रदानम्…(२)

 

जिनशासनना आकाशमां ए सूरज रूपे झळके छे, 

सूरिराजना समुदायमां ए नीरज रूपे मलके छे, 

एवा भारा गुरुराज आज गादीए बिराजे छे, 

सिंह जेवुं सत्त्व धरीने पृथ्वीतल पर गाजे छे…

सिद्धानुसंधानम्… वीरविभुविधानम्…. 

सढुणनिधानम्… श्रीसंघप्रधानम्… 

 पदवीप्रदानम्…(३)

 

गुरुवर मुनिवरने राजतिलक करशे, 

सौना वल्लभ बनी भवसिंधु तरशे,

 आज्ञा-धर्मने पाळी सिद्धिवधू वरशे, 

पुण्योदये समभावी बनीने विचरशे, 

करुणा भावे दुःखमां हर्षने धरशे,

सुंदर पद धरी भीतर ए संचरशे…(४)

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