चालो रे चालो रे नेमिनाथ की नगरिया, 

उंची रे उंची है गिरनार की डुंगरिया, 

भक्ती भाव धरो रे, प्रभु स्मरण करो रे, 

नेम सावरा, राजुल रसिया…(१)

 

गढ़ गिरनार की उंची शिखरिया, 

एक एक सीडी पार करेंगे, 

अरिष्ट नेमजी की शयामल प्रतिमा, 

देख के मन में ध्यान धरेंगे, 

मन की ये धुनी है मथाना, 

नेम प्रभु के गुण गाना, 

मुक्ती वैराया, बेडा पार करैया… 

भक्ती भाव धरो रे, प्रभु स्मरण करो रे, 

नेम सावरा, राजुल रसिया…(२)

 

सुनके पुकार वो पशुअन की, 

रथ को अपने मोड दिया,

 शत्रुंजय की पुण्य धरा पर, 

पग रखते ही विचार किया, 

लौट चले प्रभुजी तो वहा से, 

पावन गढ़ गिरनार किया

 पीछे पीछे चाली, राजुल मुक्ती की

नगरिया… भक्ती भाव धरो रे, प्रभु स्मरण

करो रे, नेम सावरा, राजुल रसिया…(३)

 

सहसावन के घने जंगल में, 

प्रभुवर पार उतारेंगे, चलते चलते 

नेम प्रभु के, नाम की रटन लगाऐंगे, 

कर्म कटेंगे अनंत भवोंके, जिसने

 नेम का नाम लिया, नेमिनाथ 

मेरी जीवन, नैया के खिवैया…

भक्ती भाव धरो रे, प्रभु स्मरण करो रे,

 नेम सावरा, राजुल रसिया…(४)

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