पूजायें एवं पाठ

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श्री नेमिनाथ जी जिन पूजा – Shree Neminath Jin Pooja

जैतिजै जैतिजै जैतिजै नेमकी, धर्म औतार दातार श्यौचैनकी| श्री शिवानंद भौफंद निकन्द, ध्यावें जिन्हें इन्द्र नागेन्द्र ओ मैनकी|| परमकल्यान के देनहारे तुम्हीं, देव हो एव तातें करौं एनकी| थापि हौं
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बीस तीर्थंकर पूजा (दीप अढ़ाई मेरु) || Bees Tirthankar Puja

पं. द्यानतराय दीप अढ़ाई मेरु पन ‘अब तीर्थंकर बीस । तिन सबकी पूजा करूँ मन वच तन धरि शीस ॥ ॐ ह्रीं श्रीविद्यमानविंशतितीर्थङ्कराः ! अत्र अवतरत अवतरत संवौषट् । ॐ
devshastra guru pujan
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देवशास्त्र गुरु पूजन(प्रथम देव अरहंत) || Dev Shastra Guru Pujan

पं. द्यानतराय अडिल्लप्रथम देव अरहंत सुश्रुत सिद्धान्त जू गुरु निर्ग्रथ महंत मुकतिपुर-पंथ जू । तीन रतन जगमाँहिं सु “ये भवि ध्याइये, तिनकी भक्ति प्रसाद परम पद पाइये ॥दोहापूजों पद अरहंत
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लघु चैत्यभक्ति (वर्षेषु वर्षान्तरपर्वतेषु)

इन्द्रवज्रावर्षेषु वर्षान्तरपर्वतेषु, नन्दीश्वरे यानि च मन्दरेषु । यावन्ति चैत्यायतनानि लोके, सर्वाणि वन्दे जिनपुङ्गवानाम् ॥मालिनी अवनितल-गतानां कृत्रिमाकृत्रिमाणां, वन-भवन-गतानां दिव्य-वैमानिकानाम्। इह मनुज – कृतानां देवराजार्चितानां जिनवर-निलयानां भावतोऽहं स्मरामि॥शार्दूलविक्रीडितम् जम्बूधातकि- पुष्करार्ध-वसुधा क्षेत्रत्रये ये
सिद्धपूजा (द्रव्याष्टकम्) siddhapuja
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सिद्धपूजा (द्रव्याष्टकम्) || SiddhaPuja

ऊर्ध्वाधरयुतं     सबिन्दु-सपरं,    ब्रह्मस्वरावेष्टितं, वर्गापूरित-दिग्गताम्बुजदलं, तत्सन्धि-तत्त्वान्वितम् । अन्तःपत्रतटेष्वनाहतयुतं,             ह्रींकारसंवेष्टितं, देवं   ध्यायति यः स मुक्तिसुभगो, वैरीभकण्ठीरवः ॥   ॐ ह्रीं श्रीसिद्धचक्राधिपते सिद्धपरमेष्ठिन् अत्र अवतर अवतर
Bhavashtakam
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सिद्धपूजा (भावाष्टकम्) || SiddhaPuja

निज-मनो-मणि-भाजनभारया शम-रसैक-सुधारसधारया । सकल-बोध-कला-रमणीयकं सहज – सिद्धमहं परिपूजये ॥ ॐ ह्रीं श्रीसिद्धचक्राधिपतये सिद्धपरमेष्ठिने जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्व०सहज-कर्म-कलङ्क-विनाशनै-रमल भाव- सुवासित-चन्दनैः । अनुपमान-गुणावलि-नायकं      सहज-सिद्धमहं परिपूजये ॥ ॐ ह्रीं श्रीसिद्धचक्राधिपतये सिद्धपरमेष्ठिने भवातापविनाशनाय
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सिद्धपूजा (भावाष्टक) हीराचंद जी | SiddhaPuja Heerachand Ji

(अडिल्ल छन्द)अष्ट-करम करि नष्ट अष्ट-गुण पाय के, अष्टम-वसुधा माँहिं विराजे जाय के | ऐसे सिद्ध अनंत महंत मनाय के, संवौषट् आह्वान करूँ हरषाय के ||ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिन्! अत्र
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सिद्ध पूजा (भाषा) द्यानतराय || Siddha Puja

(पं. द्यानतराय)परमब्रह्म परमातमा, परमज्योति ‘परमेश । परम निरंजन परम शिव, नमो परम सिद्धेश ॥         ॐ ह्रीं सिद्धचक्राधिपते सिद्धपरमेष्ठिन् अत्र अवतर अवतर संवौषट् । ॐ ह्रीं सिद्धचक्राधिपते
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श्री देव शास्त्र गुरु पूजा || Dev Shastra Guru Pooja

Jain Pooja Dev Shastra Guruकेवल-रवि किरणों से जिसका, सम्पूर्ण प्रकाशित है अन्तर, उस श्री जिनवाणी में होता, तत्त्वों का सुंदरतम दर्शन । सद्दर्शन-बोध-चरण-पथ पर, अविरल जो बढ़ते हैं मुनिगण, उन
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समुच्चय पूजा । Samuchchay Puja

देवशास्त्र गुरु नमन करि, बीस तीर्थङ्कर ध्याय।सिद्ध शुद्ध राजत सदा, नमूँ चित्त हुलसाय॥ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्र गुरु भगवन्तः, श्री अनंतानंत सिद्ध परमेष्ठिन:, श्री विद्यमान विंशति तीर्थंकरेभ्यः अत्र अवतरत अवतरत संवौषट्।