आया जैनो का ये त्यौहार है,
पर्व पर्युषण महान है…. (१)
फूल कलियाँ और ये भंवरे,
सूरज चंदा और ये तारे,
चारो दिशाएं मिलके आज
धुन ये मचाये… (२)
आया है पर्व पर्युषण हो… वीरजी…
स्वार्थ का जहाँ है सारा,
धर्म को है अपना माना,
साधना की छांवमें आत्मा बिठाना,
अहिंसाके पथपे चलना,
क्षमा को तुम दिल में रखना,
संदेशा ये वीरका सबको तुम सुनाना,
कल्पसूत्रकी बात निराली,
गुरुमुखसे आज हे जानी,
जीयो और जीने दो,
सबको ये है वीर की वाणी,
आया है पर्व पर्युषण हो… वीरजी… (३)
खामेमि सव्वजिवे, सब्वे जीवा खमंतु मे ।
मित्ती मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ न केणई ॥
पालना झूलाओ तुम पालना झूलाओ,
वीर का जनम मनाओ, वीर का जनम,
सखियां सारी मिलके,
आओ गीत गुण गुनाओ,
वीर का जनम मनाओ, वीर का जनम,
“मिच्छा मि ढुक्कडं” दे के सबको,
गले लगाके आज ये बोलो,
मोक्ष में ले जाए, एसा पर्व आज आया,
आया है पर्व पर्युषण हो… वीरजी…. (४)