अक्षतथी वधावो-अश्रुथी वघावो,
जय-जयकार नाद गजावो,
आवी रही छे तपस्वीनी सवारी…
भावे करता वंदन सहु नर-नारी,
आवी रही छे तपस्वीनी सवारी…(१)
सुंदरी सतिजीनी वारसदार आ
कलिकालमां, मयणाजीनी वफादार
आ भोगकालमां, त्यागनां
आभूषणो शणगारे आ रागकालमां,
अक्षतथी वधावो-अश्रुथी वधावो,
जय-जयकार नाद गजावो..
आवी रही छे तपस्वीनी सवारी…
भावे करता वंदन सहु नर-नारी,
आवी रही छे तपस्वीनी सवारी…(२)
वीर प्रभुनी कीर्ति फैलावे आ
जिनशासनमां, सूरि जितेन्द्रनी कृपा
पामे आ गुरुकुलमां, भीष्मतपस्वी
गुणरत्नम् ने चाहे आ श्रमणवेशमां,
अक्षतथी वधावो-अश्रुथी वघावो,
जय-जयकार नाद गजावो..
आवी रही छे तपस्वीनी सवारी…
भावे करता वंदन सहु नर-नारी,
आवी रही छे तपस्वीनी सवारी…(३)