अगाध दरिया छो गुणोना, 

विरति उपवन छो, गुरुवर गुरुवर, 

महेंकी रही छे सदा आ,

 संयमनी सुमन, गुरुवर गुरुवर, 

वंदना वंदना… उर्जामय श्री चरणे

वंदना… पाप हरे तन-मननां,

गुरुनां श्री चरणे वंदना..(१)

 

मोह साथे युद्धमांतो,

 साचा रणवीर छो तमे, 

सिंह सत्त्व फोरवो छो, 

सत्त्व एवुं आपो मने, 

शासन तणी खुमारीनुं,

 बळ एवुं आपो मने, 

राखो संगे आव्यो उमंगे,

 ज्ञानी ध्यानी छो तमे, वंदना…(२)

 

ब्रह्ममूर्ति सत्त्वशाली, पुण्यना स्वामी तमे, 

आत्मनंदी तत्त्वभाषी, “महर्धि” नां राजा

तमे, साचा सुखना साचा राहोने,
बतावो छो तमे, प्रेम भीनां वचनो थकी,

सहुने तारो छो तमे, वंदना….(३)

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