Discover the revered “Adinath Chalisa,” its Hindi lyrics, and the profound spiritual significance of this hymn dedicated to Lord Adinath.
Table of Contents
Introduction
The “Adinath Chalisa” is a devotional hymn dedicated to Lord Adinath, the first Tirthankara in Jainism. This ancient text is celebrated for its spiritual depth and devotional fervor. In this blog post, we will explore the Hindi lyrics of the “Adinath Chalisa,” understand their meanings, and uncover the hymn’s significance in spiritual practices.
Adinath Chalisa Lyrics
(Dohas)
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम।।
सर्व साधु और सरस्वती जिनमंदिर सुखकार।
आदिनाथ भगवान् को मन-मंदिर में धार।।
(Chaupaai)
जै जै आदिनाथ जिन स्वामी, तीन-काल तिहुँ-जग में नामी।
वेष-दिगम्बर धार रहे हो, कर्मों को तुम मार रहे हो।।1।।
हो सर्वज्ञ बात सब जानो; सारी दुनियाँ को पहचानो।
नगर अयोध्या जो कहलाये, राजा नाभिराज बतलाये।।2।।
मरुदेवी माता के उदर से, चैत-वदी-नवमी को जन्मे।
तुमने जग को ज्ञान सिखाया, कर्मभूमि का बीज उपाया।।3।।
कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने, जनता आर्इ दु:खड़ा कहने।
सब का संशय तभी भगाया, सूर्य-चंद्र का ज्ञान कराया।।4।।
खेती करना भी सिखलाया, न्याय-दंड आदिक समझाया।
तुमने राज किया नीति का, सबक आपसे जग ने सीखा।।5।।
पुत्र आपका भरत बताया, चक्रवर्ती जग में कहलाया।
बाहुबलि जो पुत्र तुम्हारे, भरत से पहले मोक्ष सिधारे।।6।।
सुता आपकी दो बतलार्इ, ‘ब्राह्मी’ और ‘सुन्दरी’ कहलार्इ।
उनको भी विद्या सिखलार्इ, अक्षर और गिनती बतलार्इ।।7।।
एक दिन राजसभा के अंदर, एक अप्सरा नाच रही थी।
आयु उसकी बची अल्प थी, इसीलिए आगे नहिं नाच सकी थी।।8।।
विलय हो गया उसका सत्वर, झट आया वैराग्य उमड़कर।
बेटों को झट पास बुलाया, राजपाट सब में बँटवाया।।9।।
छोड़ सभी झंझट संसारी, वन जाने की करी तैयारी।
राजा हजारों साथ सिधाए, राजपाट-तज वन को धाये।।10।।
लेकिन जब तुमने तप कीना, सबने अपना रस्ता लीना।
वेष-दिगम्बर तजकर सबने, छाल आदि के कपड़े पहने।।11।।
भूख-प्यास से जब घबराये, फल आदिक खा भूख मिटाये।
तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये, जो अब दुनियाँ में दिखलाये।।12।।
छै: महीने तक ध्यान लगाये, फिर भोजन करने को धाये।
भोजन-विधि जाने नहिं कोय, कैसे प्रभु का भोजन होय।।13।।
इसी तरह बस चलते चलते, छै: महीने भोजन-बिन बीते।
नगर हस्तिनापुर में आये, राजा सोम श्रेयांस बताए।।14।।
याद तभी पिछला-भव आया, तुमको फौरन ही पड़घाया।
रस-गन्ने का तुमने पाया, दुनिया को उपदेश सुनाया।।15।।
तप कर केवलज्ञान उपाया, मोक्ष गए सब जग हर्षाया।
अतिशययुक्त तुम्हारा मंदिर, चाँदखेड़ी भँवरे के अंदर।।16।।
उसका यह अतिशय बतलाया, कष्ट-क्लेश का होय सफाया।
मानतुंग पर दया दिखार्इ, जंजीरें सब काट गिरार्इ।।17।।
राजसभा में मान बढ़ाया, जैनधर्म जग में फैलाया।
मुझ पर भी महिमा दिखलाओ, कष्ट भक्त का दूर भगाओ।।18।।
(Soratha)
पाठ करे चालीस दिन, नित चालीस ही बार।
चाँदखेड़ी में आय के, खेवे धूप अपार।
जन्म दरिद्री होय जो, होय कुबेर-समान।
नाम-वंश जग में चले, जिनके नहीं संतान।।
Significance of Adinath Chalisa
1. Spiritual Enlightenment:
The “Adinath Chalisa” is revered for its ability to bring spiritual enlightenment and inner peace. Chanting this hymn is believed to help devotees connect with Lord Adinath and attain spiritual wisdom.
2. Divine Praise:
This hymn praises the divine attributes of Lord Adinath, emphasizing his knowledge, wisdom, and benevolence. It highlights his role in teaching essential principles of life and dharma.
3. Ritual Importance:
The “Adinath Chalisa” is often recited during religious ceremonies and festivals dedicated to Lord Adinath. It serves as a vital part of worship practices and spiritual rituals.
4. Healing and Protection:
Devotees believe that reciting the chalisa can provide protection from difficulties and enhance personal well-being. It is considered a means to overcome challenges and seek divine blessings.
5. Promoting Virtue:
The hymn encourages virtues such as wisdom, compassion, and righteousness. It serves as a guide for leading a life aligned with ethical and spiritual principles.
Conclusion
The “Adinath Chalisa” is a profound expression of devotion to Lord Adinath. By exploring its lyrics and understanding their significance, devotees can deepen their spiritual practice and seek divine blessings. Whether recited daily or on special occasions, this chalisa remains a cherished part of Jain devotional traditions.
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