आदिश्वर है प्यारो, मरूदेवानंद दुल्हारो,

 आयो वर्षीतप रो पारणो….

 रंग गुलाल उडाओ रे, इक्षुरस वरसावो रे,

 मंगल गीत गाओ, तपसी ने वधाओ रे….(१)

 

आदिनाथ जिनवर मुरत, सबसे प्यारी लागे,

 म्हने तप की ये फुलवारी, न्यारी-न्यारी लागे…(२)

 

तेराह मासरि कठीण साधना,

 तपसी मन से करता, आते-जाते 

रोम-रोम से, आदिश्वर है जपता,

 जिनशासन की ये तपस्या, सबसे महान है, 

तपस्वी हमारे, जिनशासन की शान है…(३)

 

अयोगिता गुरुणीसा, प्रेरणा बनके आये है, 

विमल ललित प्रशम कंचन, मन ही मन

हर्षाये है, बाफना परिवार मन से, करता

गुणगान है, तपस्वी हमारे, जिनशासन की शान है…(४)

Shares:
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *