ए हालो हालो..ए सहु भक्ति करवा हालो…
मारे पारसने दरबार, भक्ति करवी छे…
मारे वीर प्रभुने धाम, भक्ति करवी छे…(१)
शिखरजी ने गिरनारजी, पावापुरी छे
महावीरजी जीरावला ने अंतरिक्षजी,
शंखेश्वरना पारसजी,मारे दादाने दरबार,
भक्ति करवी छे…मारे प्रभुने संगाथ,
भक्ति करवी छे…(२)
मारे ऋषभने दरबार, भक्ति करवी छे…
मारे गिरनारीने धाम, भक्ति करवी छे….(३)
ऊँचा-ऊँचा डूंगरा तारा, होशे-होंशे चढ़वा
आया,पूजा तारी करवा आया, देहरे तारे
दौड़ी आव्या,मारे दादाने दरबार, भक्ति
करवी छे…मारे प्रभुने संगाथ,
भक्ति करवी छे…(४)
मारे आदिश्वरने धाम, भक्ति करवी छे…
मारे नेमीश्वरने धाम, भक्ति करवी छे…(५)
चामर लईने भक्तो नाचे, नाचता-नाचता
दुःखो भागे,जिनवरजीनुं नाम जपे, प्यारा
प्रभुनो संगाथ झंखे,मारे दादाने दरबार,
भक्ति करवी छे…मारे प्रभुने संगाथ,
भक्ति करवी छे…(६)