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नंदीश्वर द्वीप का परिचय
नंदीश्वर द्वीप जैन धर्म में एक अद्वितीय और पवित्र स्थान है, जो केवल धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है और भौतिक रूप से पृथ्वी पर स्थित नहीं है। यह द्वीप भगवान जिनेंद्र की आराधना का एक दिव्य स्थल है, जहाँ देवता पूजा करते हैं। भक्तजन इसे ध्यान और पूजा के माध्यम से अनुभव करते हैं, विशेषकर अष्टाह्निका पर्व और विशेष पूजा अवसरों पर।
नंदीश्वर द्वीप की रचना
जैन शास्त्रों के अनुसार, नंदीश्वर द्वीप की रचना और इसकी संरचना अत्यंत विस्तृत और दिव्य है।
1. आकृति और विस्तार
- नंदीश्वर द्वीप का विस्तार 163 करोड़ योजन है।
- हर दिशा में इसका विस्तार 84 लाख योजन तक माना गया है।
2. चार अंजनगिरि पर्वत
- प्रत्येक दिशा में एक अंजनगिरि पर्वत स्थित है।
- इन पर्वतों की ऊंचाई 1,000 योजन है।
3. 52 जिनालय (जैन मंदिर)
- प्रत्येक अंजनगिरि पर्वत के ऊपर 13-13 जिनालय हैं।
- सभी जिनालयों में भगवान जिनेंद्र की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
- इन मंदिरों में पूजा केवल देवताओं द्वारा की जाती है।
4. पवित्रता और विशेषता
- यह स्थान पूरी तरह से दिव्य है और यहां केवल शुद्ध आत्माएं ही जा सकती हैं।
- मनुष्यों के लिए यह स्थान भौतिक रूप से सुलभ नहीं है।
नंदीश्वर द्वीप का जैन धर्म में महत्व
1. भगवान जिनेंद्र की आराधना का स्थल
नंदीश्वर द्वीप को भगवान जिनेंद्र की पूजा और आराधना का प्रमुख केंद्र माना गया है। देवता यहां आकर जिनेंद्र भगवान की पूजा करते हैं।
2. अष्टाह्निका पर्व का महत्व
जैन धर्म में नंदीश्वर द्वीप पूजा विशेष रूप से अष्टाह्निका पर्व के दौरान की जाती है। यह पर्व वर्ष में दो बार, कार्तिक और फाल्गुन महीनों में मनाया जाता है।
3. आध्यात्मिक साधना का प्रतीक
नंदीश्वर द्वीप का पूजन आत्मा को शुद्ध करने और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
नंदीश्वर द्वीप पूजा की विधि
नंदीश्वर द्वीप की पूजा में 52 जिनालयों की आराधना की जाती है। पूजा विधि जैन शास्त्रों में विस्तृत रूप से वर्णित है।
1. पूजा सामग्री
- जल
- चंदन
- अक्षत (चावल)
- पुष्प
- नैवेद्य (भोग)
- दीपक
- धूप
- फल
2. पूजा क्रम
- जल अर्पण: संसार के कष्ट और अशुद्धियों को समाप्त करने के लिए।
- चंदन अर्पण: मानसिक शांति और भक्ति के लिए।
- अक्षत अर्पण: अक्षय पद (मोक्ष) की प्राप्ति के लिए।
- पुष्प अर्पण: भक्ति और दिव्यता का प्रतीक।
- नैवेद्य: भगवान को भोग अर्पित करने के लिए।
- दीप: अज्ञान के अंधकार को दूर करने के लिए।
- धूप: सभी प्रकार के कर्मों को नष्ट करने के लिए।
- फल: मोक्ष फल की प्राप्ति के लिए।
3. जयमाला और समर्पण
पूजा के अंत में भगवान जिनेंद्र को जयमाला समर्पित की जाती है, जिसमें मंत्रों का उच्चारण और ध्यान शामिल होता है।
नंदीश्वर द्वीप की पूजा: पवित्र जैन स्तुति और महत्त्व
नंदीश्वर द्वीप से जुड़े प्रमुख जैन मंदिर
भारत में कई जैन मंदिरों में नंदीश्वर द्वीप की प्रतिकृति स्थापित है, जहां श्रद्धालु इसकी पूजा करते हैं।
- खनियाधाना (मध्य प्रदेश):
यह विश्व की सबसे बड़ी नंदीश्वर द्वीप संरचना है। - हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश):
श्री पंच मेरु नंदीश्वर मंदिर बड़ा मंदिर परिसर में स्थित है। - पालिताना (गुजरात):
यहां के मंदिरों में नंदीश्वर द्वीप की प्रतिकृति स्थापित है।
निष्कर्ष
नंदीश्वर द्वीप जैन धर्म में भक्ति, शुद्धता और मोक्ष का प्रतीक है। इसकी पूजा विधि आत्मा को निर्मल बनाने और मोक्ष की ओर ले जाने में सहायक मानी जाती है। भक्त इसे मानसिक और आध्यात्मिक रूप से अनुभव करते हैं और इसकी पूजा करके भगवान जिनेंद्र की कृपा प्राप्त करते हैं।