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Introduction to Shri Kunthunath Chalisa

Shri Kunthunath Chalisa is a revered devotional hymn in Jainism dedicated to Lord Kunthunath, the 17th Tirthankara. This Chalisa praises the virtues and life of Kunthunath Bhagwan and is recited by devotees seeking his blessings for peace, prosperity, and spiritual progress. This blog post explores the Kunthunath Chalisa lyrics, its meaning, and its significance in Jain devotion.

Shri Kunthunath Chalisa Lyrics in Hindi

Here are the complete lyrics of Shri Kunthunath Chalisa, a beautiful composition that captures the divine qualities of Lord Kunthunath:

दया सिन्धु कुन्थु जिनराज, भव सिंधु तिरने को जहाज।
कामदेव चाकरी महाराज, दया करो हम पर भी आज।।

जय श्री कुन्थु नाथ गुणखान, परम यशस्वी महिमावान।
हस्तिनापुर नगरी के भूपति, शूरसेन कुरुवंशी अधिपति।।

महारानी थी श्रीमती उनकी, वर्षा होती थी रतनन की।
प्रतिपदा वैशाख उजियारी, जन्मे तीर्थंकर बलधारी।।

गहन भक्ति अपने उर धारे, हस्तिनापुर आये सुर सारे।
इन्द्र प्रभु को गोद में लेकर, गए सुमेरु हर्षित हो कर।।

न्हवन करे निर्मल जल लेकर, ताण्डव नृत्य करे भक्ति भर।
कुंथुनाथ नाम शुभ देकर, इन्द्र करें स्तवन मनोहर।।

दिव्या वस्त्राभूषण पहनाये, वापिस हस्तिनापुर को आए।
क्रम क्रम से बढे बालेन्दु सम, यौवन शोभा धारें हितकर।।

धनु पैतालीस उननत प्रभु तन, उत्तम शोभा धारें अनुपम।
आयु पिचानवे वर्ष हजार, लक्षण अज धारे हितकार।।

राज्याभिषेक हुआ विधिपूर्वक, शासन करे सुनीति पूर्वक।
चक्ररतन शुभ प्राप्त हुआ जब, चक्रवर्ती प्रभु कहलाये तब।।

एक दिन प्रभु गए उपवन में, शांत मुनि एक देखे मग में।
इंगित किया तभी अंगुली से, देखो मुनि को कहा मंत्री से।।

मंत्री ने पूछा जब कारण, किया मोक्षहित मुनिपद धारण।
कारण करे और स्पष्ट, मुनि पद से ही कर्म हो नष्ट।।

मंत्री का तो हुआ बहाना, किया वस्तुतः निज कल्याणा।
चित्त विरक्त हुए विषयों से, तत्व चिंतन करते भावों से।।

निज सूत को सौपा सब राज, गए सहेतुक वन जिनराज।
पंचमुष्टि केशलोंच कर, धार लिया पद नगन दिगंबर।।

तीन दिन बाद गए गजपुर को, धर्ममित्र पड्गाए प्रभु को।
मौन रहे सौलह वर्षो तक, सहे शीत वर्षा और आतप।।

स्थिर हुए तिलक तरु जल में, मगन हुए निज ध्यान अटल में।
आतम में बढ़ गई विशुद्धि, केवल ज्ञान की हो गयी सिद्धि।।

सूर्यप्रभा सम सोहे आप्त, दिग्मंडल शोभा हुई व्याप्त।
समोशरण रचना सुखकार, ज्ञान तृप्ति बैठे नर नार।।

विषय भोग महा विषमय हैं, मन को कर देते तन्मय हैं।
विष से मरते एक जनम में, भोग विषाक्त मरे भव भव में।।

क्षण भंगुर मानव का जीवन, विद्युतवत विनसे अगले क्षण।
सांध्य लालिमा के सद्रश्य ही, यौवन हो जाता हैं अद्रश्य ही।।

जब तक आतम बुद्धि नहीं हो, तब तक दरश विशुद्धि नहीं हो।
पहले विजित करो पंचेन्द्रिय, आतमबल से बनो जितेन्द्रिय।।

भव्य भारती प्रभु की सुनकर, श्रावक जन आनन्दित होकर।
श्रद्धा से व्रत धारण करते, शुभ भावों का अर्जन करते।।

शुभायु एक मास की रही जब, शैल सम्मेद पे वास किया तब।
धारा प्रतिमा योग वहां पर, कटा कर्म बंध सब प्रभुवर।।

मोक्षकल्याणक करते सुरगण, कूट ज्ञानधार करते पूजन।
चक्री कामदेव तीर्थंकर, कुंथुनाथ थे परम हितकर।।

चालीसा जो पढ़े भाव से, स्वयं सिद्ध हो निज स्वाभाव से।
धर्म चक्र के लिए प्रभु ने, चक्र सुदर्शन तज डाला।।
इसी भावना ने अरुणा को, किया ज्ञान में मतवाला।।

Meaning and Interpretation of Kunthunath Chalisa

Understanding the Kunthunath Chalisa helps deepen one’s devotion and connection with Lord Kunthunath. The Chalisa begins with praising Kunthunath Bhagwan as the ocean of mercy, likening him to a ship that guides devotees across the sea of worldly existence. It recounts his royal lineage, birth as a Tirthankara, and his journey to spiritual awakening.

The verses highlight Lord Kunthunath’s role as a beacon of hope and a guide for overcoming life’s challenges. It emphasizes his teachings on detachment, self-realization, and the pursuit of truth, urging devotees to conquer desires and live a life of righteousness.

Significance of Shri Kunthunath Chalisa in Jainism

Reciting the Shri Kunthunath Chalisa holds significant spiritual benefits. It is believed to cleanse the soul, bring peace of mind, and protect from negative influences. Devotees recite the Chalisa to seek guidance and strength from Lord Kunthunath in their spiritual journey.

The Chalisa serves as a reminder of the virtues of compassion, non-attachment, and the importance of spiritual discipline. By reciting the Chalisa with devotion, one can attain clarity of thought, serenity, and a deeper understanding of Jain principles.

Conclusion

Shri Kunthunath Chalisa is not just a prayer but a powerful spiritual tool that nurtures the soul and guides devotees toward enlightenment. By understanding the lyrics, meaning, and significance, devotees can enrich their spiritual practices and draw closer to the divine teachings of Lord Kunthunath. Embrace the path of righteousness, and let the virtues of Kunthunath Bhagwan illuminate your journey.

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