Paryushana Parva or Daslakshana Parva is the most important Jain festivals that emphasize self-purification, penance, and forgiveness. During these sacred days, followers seek forgiveness for their mistakes and extend it to others as well, embodying the spirit of forgiveness.

Paryushana Parva or दसलक्षण पर्व जैन धर्म के प्रमुख पर्वों में से हैं, जिनमें आत्म-शुद्धि, तपस्या, और क्षमा का विशेष स्थान है। इन पर्वों के दौरान जैन अनुयायी अपने द्वारा की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं और दूसरों को क्षमा करने की प्रेरणा लेते हैं।

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Importance of Forgiveness | क्षमा का महत्व

In the world, forgiveness is essential for every human being. Without forgiveness, one cannot achieve success in their true purpose. Forgiveness is the virtue of the soul, and those who seek spiritual welfare must always protect and practice this feeling.

A forgiving person has no enemies, neither in this world nor in the next. Forgiveness is the essence of all virtues and is the true treasure of right faith, knowledge, and conduct.

संसार में प्रत्येक मानव के लिए क्षमा अत्यंत आवश्यक है। बिना क्षमा के कोई भी अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता। क्षमा आत्मा का धर्म है, और जो व्यक्ति आत्मिक कल्याण चाहते हैं, उन्हें इस भावना की रक्षा करनी चाहिए। क्षमावान व्यक्ति का इस लोक या परलोक में कोई शत्रु नहीं होता। क्षमा ही समस्त धर्मों का सार है और सम्यक दर्शन, ज्ञान, और चारित्र का सच्चा खजाना है।

The Power of Forgiveness | क्षमा की शक्ति

The true strength of a person is demonstrated when they practice forgiveness in moments of anger. Forgiveness helps to dissolve ego, and only those who let go of ego experience true happiness. In Jainism, it is said, “Uttam Kshama jahan man ho, antar bahar shatru na koi.” This means that when one embraces true forgiveness, all deceit and malice disappear, and a deep sense of friendship arises towards all living beings.

क्रोध के क्षणों में क्षमा धारण करना ही सच्चा पुरुषार्थ है। जिसके हृदय में अहंकार है, वह दुखी है और जिसने अपने अहंकार को विसर्जित किया, वही सच्चा सुखी है। जैन धर्म में कहा गया है, “उत्तम क्षमा जहां मन होई, अंतर बाहर शत्रु न कोई।” इसका अर्थ है कि जब व्यक्ति उत्तम क्षमा को धारण करता है, तो उसके जीवन से सारी कुटिलताएं समाप्त हो जाती हैं और समस्त जीवों के प्रति अनन्य मैत्रीभाव उत्पन्न होता है।

What is Uttam Kshama in Jainism? | जैन धर्म में उत्तम क्षमा क्या है?

What is Uttam Kshama?: Uttam Kshama, or supreme forgiveness, is one of the ten virtues (Daslakshan) in Jainism. It involves letting go of anger and hatred, fostering peace and compassion towards all beings. This virtue is essential for self-purification and spiritual growth.

उत्तम क्षमा: उत्तम क्षमा, या सर्वोत्तम क्षमा, जैन धर्म के दस धर्मों में से एक है। इसमें क्रोध और घृणा को त्यागकर सभी जीवों के प्रति शांति और करुणा का भाव उत्पन्न किया जाता है। यह आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।

How to Practice Uttam Kshama? | उत्तम क्षमा का अभ्यास कैसे करें?

During the observance of Paryushana Parva or Daslakshana Parva, followers engage in asking for forgiveness from friends, family, and society. It is a practice of self-reflection and humility, acknowledging one’s mistakes and embracing the spirit of reconciliation.

How to wish Uttam Kshama?: On the day of Uttam Kshama, people say, “Michhami Dukkadam,” meaning “I ask for forgiveness if I have hurt you in any way, knowingly or unknowingly.”

उत्तम क्षमा का अभ्यास: Paryushana Parva या दसलक्षण पर्व के दौरान, जैन अनुयायी अपने मित्रों, परिवारजनों और समाज के लोगों से क्षमा याचना करते हैं। यह आत्म-चिंतन और विनम्रता का अभ्यास है, जिसमें व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकार कर दूसरों से सुलह की भावना रखता है।

उत्तम क्षमा कैसे मांगें?: उत्तम क्षमा के दिन लोग “मिच्छामि दुक्कड़म्” कहते हैं, जिसका अर्थ है “यदि मैंने आपको किसी भी प्रकार से, जानबूझकर या अनजाने में दुख पहुँचाया है, तो कृपया मुझे क्षमा करें।”

Conclusion | निष्कर्ष

Uttam Kshama is the key to peace, happiness, and spiritual prosperity. It is not only a way to bring personal joy but also to establish harmony and friendship with all living beings. Embracing Uttam Kshama during the sacred Daslakshana Parva ensures that we walk the path of righteousness and inner peace.

उत्तम क्षमा जीवन में शांति, सुख और आध्यात्मिक समृद्धि का मार्ग है। यह न केवल व्यक्तिगत सुख का साधन है, बल्कि यह समस्त जीवों के साथ मित्रता और प्रेम स्थापित करने का भी माध्यम है। दसलक्षण पर्व के दौरान उत्तम क्षमा को आत्मसात करने से हम धर्म और आत्मिक शांति के मार्ग पर चलते हैं।

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