मारे बनवु छे भगवान, मारे करवा छे उपधान

थई.. साधनामां एकतान, मारे करवा छे उपधान मारे बनवु छे…

नमो अरिहंताणं नादे ज्यां, उघडे वहेली सवार,

सो लोग्गस्सथी पावन थई ने दऊं, खमासमण सो वार,

ज्यां सुख-दुःख एक समान… मारे करवा…

मारी अष्टप्रवचन माता, जीवो ने आपे शाता,

सहवर्तीओ बने भ्राता, जोई आंसुओ उभराता,

ज्यां प्रेम-स्नेह-सन्मान… मारे करवा…

गुरु घणुं समजावे-संसार नी याद न आवे,

भले निविना दिवसो आवे, उपवासे मन हरखावे,

क्रियामां-घणुं बहुमान… मारे करवा…

गिरिराजनी शीतल छाया, रत्नचंद्रसूरि गुरु राया,

वोहेरा परिवार सोहाया, उपधान तप मंडाया,

हवे गूंजे एक ज गान… मारे करवा…

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