प्रभु तमे अरिहंत छो, मारे अर छे हजार,

प्रभु तमे तो जीती गया ने, मारे कर्मे हार… (२)

आतम ना कल्याण ने काजे, तमे दिधु बधु त्यागी,

मारे लोभनो थोभ मले ना, हु तो छं हजु रागी… (२)

प्रभु तमे अणगार थया ने,

मारे मोटा संसार प्रभु तमे तो जीती गया ने,

मारे कर्मे हार प्रभु तमे अरिहंत छो…

संकट ने उपसर्गों ने तमे, सहेता हसता-हसता,

दुःख पडे तो कायर थईने, बेठं रडता- रडता… (२)

प्रभु तमे पेली-पार गया ने, हु तो डुबी मझधार

प्रभु तमे तो जीती गया ने, मारे कर्मे हार प्रभु तमे अरिहंत छो…

सिद्धिनं पद पामवा तमे, साची साधना कीधी,

दुनिया नी ऋद्धि मेळववा, में-तो विराधना कीधी… (२)

गोथा खाई रही हुं हुं तो,

उतारजो भव पार प्रभु तमे तो जीती गया ने,

मारे कर्मे हार प्रभु तमे अरिहंत छो…

हो मारे कर्मे हार… हो मारे कर्मे हार…

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